आकाशात उडणारे जेव्हां जमीनीवर चालू लागतात
आणी चक्क् माणसांशी बोलू लागतात...
खरं म्हणजे अशात् इतरांनाच आश्च्रर्य व्हावं
ह्यांना धरतीवर बघुन माणसांनीच घाबरावं
पण वर हेच उलट शिमगा करतात
म्हणे, हि माणसं आम्हाला घाबरवतात
आकाशी उडतांना तर सर्वच् जवळ होते
चंद्र, सुर्य, तारे नेहेमीच आटोक्यात होते
मग आता, आकाश सोडुन इथे काय भावलं?
हे पाखरु आज् जमीनीकडे कसं काय धावलं?
म्हणे, सुर्य लांबूनच गुलाबी वाटतो
जवळ जाता नुसताच् जाळतो
तारे आहेत लांबच-लांब रे सारे
चंद्र् ही एकच् आणी कितीतरी झुरणारे
लागली तहान ह्या जीवाला
सोडुन अंबर हा तुजपाशी आला
आता तू तरी ह्यास ह्रदयाशी घेशील का?
स्वप्न नको, मला माझे जीवन देशील का?
मला ही होते स्वप्न ताऱ्यांचेच जेव्हां
आकाशी स्वच्छंद विहरताना तू दिसलीस तेव्हां
तारे सोडुन मग जीव तुझ्यातच् गुंतला
झेप किती घेतली, पण विरहच नशीबी आला
जीवन म्हणतेस ज्याला ते स्वप्न माझे आहे
वर्षे लोटली जगासाठी, मी आजही तीथेच आहे
कधी मागे वळुन, थोडं चालुन एकदा येणार का?
डोळ्यांत डोळे घालुन एक हाक तरी देणार का?
- नरेन्द्र सिंह [१४/१०/२००७]
एक आम software professional की कहानी ग़ज़लों की जुबाँनी। मैने कई साल ग़ज़लों की दुनिया मे गुजारे हैं। अब ये प्रयास है ग़ज़लों को मेरी दुनिया से रुबरु कराने का।
Saturday, December 15, 2007
Saturday, October 27, 2007
सटकते जायें हैं मेरी Team से Developers आहिस्ता आहिस्ता
सटकते जायें हैं मेरी Team से Developers आहिस्ता आहिस्ता
निकलता आ रहा है "और काम" आहिस्ता आहिस्ता
Join होने लगे जब New Trainee तो हमसे कर लिया परदा
यकलख़्त शबाब पर आई "उनकी पगार" आहिस्ता आहिस्ता
हमारे और Trainee बच्चों के काम में बस फ़र्क है इतना
उधर तो है सब जल्दी-जल्दी और इधर हिसाब आहिस्ता आहिस्ता
Bug-Fixing करता जागा हूँ बे T.L. अब तो सोने दे
कभी फ़ुर्सत में कर लेना Rework का हिसाब, आहिस्ता आहिस्ता
वो बेदर्दी से Bug ढुंढें मेरे Coding में और मैं कहूँ उनसे
हुज़ूर आहिस्ता आहिस्ता जनाब आहिस्ता आहिस्ता
- नरेन्द्र सिंह
-----------------------------
Vocabulary:
आहिस्ता आहिस्ता : slowly, slowly
यकलख़्त : at once, instantaneously
शबाब : youth
फ़ुर्सत : leisure, convenience
हिसाब : an account for deeds
बेदर्दी : cruelty
हुज़ूर : Sir
जनाब : His Excellency
-----------------------------
Original Gazal : सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता
Lyriced By : अमीर मीनाई
Voiced By : जगजीत सिंह, आशा भोसले
निकलता आ रहा है "और काम" आहिस्ता आहिस्ता
Join होने लगे जब New Trainee तो हमसे कर लिया परदा
यकलख़्त शबाब पर आई "उनकी पगार" आहिस्ता आहिस्ता
हमारे और Trainee बच्चों के काम में बस फ़र्क है इतना
उधर तो है सब जल्दी-जल्दी और इधर हिसाब आहिस्ता आहिस्ता
Bug-Fixing करता जागा हूँ बे T.L. अब तो सोने दे
कभी फ़ुर्सत में कर लेना Rework का हिसाब, आहिस्ता आहिस्ता
वो बेदर्दी से Bug ढुंढें मेरे Coding में और मैं कहूँ उनसे
हुज़ूर आहिस्ता आहिस्ता जनाब आहिस्ता आहिस्ता
- नरेन्द्र सिंह
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Vocabulary:
आहिस्ता आहिस्ता : slowly, slowly
यकलख़्त : at once, instantaneously
शबाब : youth
फ़ुर्सत : leisure, convenience
हिसाब : an account for deeds
बेदर्दी : cruelty
हुज़ूर : Sir
जनाब : His Excellency
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Original Gazal : सरकती जाये है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता
Lyriced By : अमीर मीनाई
Voiced By : जगजीत सिंह, आशा भोसले
Thursday, October 18, 2007
आशेच्या ह्या नाजुक धाग्यावर मी स्वप्नांची पतंग उडवतो...
आशेच्या ह्या नाजुक धाग्यावर
मी स्वप्नांची पतंग उडवतो...
स्वप्ने कधी आकशात उंच उडू लागता
वस्तुस्थितीशीही मी पेच् लडवतो ।
वाराही मग वाहतो कधी माझ्या मदतीला
तर कधी कधी तो ही मला रडवतो ।
आशेच्या ह्या नाजुक धाग्यावर
मी स्वप्नांची पतंग उडवतो ।
स्वप्ने कधी वादळांत सापडता
आशेचा हा कच्चा धागा ही तुटतो ।
संयमाने मग बांधुन गाठी नव्या
मी वादळांवर ही विजय मिळवतो ।
आशेच्या ह्या नाजुक धाग्यावर
मी स्वप्नांची पतंग उडवतो ।
वाटते काळजी काहींना माझ्या कडे पाहाता,
काहींना येते हसु तर कोणी उगीच् मला छळतो ।
मग माझ्यावर हसणाऱ्यांना मला छळणाऱ्यांना
मी स्वप्नांमधेच् नेऊन जाम् बडवतो ।
आशेच्या ह्या नाजुक धाग्यावर
मी स्वप्नांची पतंग उडवतो ।
- नरेन्द्र सिंह [१८/१०/२००७]
मी स्वप्नांची पतंग उडवतो...
स्वप्ने कधी आकशात उंच उडू लागता
वस्तुस्थितीशीही मी पेच् लडवतो ।
वाराही मग वाहतो कधी माझ्या मदतीला
तर कधी कधी तो ही मला रडवतो ।
आशेच्या ह्या नाजुक धाग्यावर
मी स्वप्नांची पतंग उडवतो ।
स्वप्ने कधी वादळांत सापडता
आशेचा हा कच्चा धागा ही तुटतो ।
संयमाने मग बांधुन गाठी नव्या
मी वादळांवर ही विजय मिळवतो ।
आशेच्या ह्या नाजुक धाग्यावर
मी स्वप्नांची पतंग उडवतो ।
वाटते काळजी काहींना माझ्या कडे पाहाता,
काहींना येते हसु तर कोणी उगीच् मला छळतो ।
मग माझ्यावर हसणाऱ्यांना मला छळणाऱ्यांना
मी स्वप्नांमधेच् नेऊन जाम् बडवतो ।
आशेच्या ह्या नाजुक धाग्यावर
मी स्वप्नांची पतंग उडवतो ।
- नरेन्द्र सिंह [१८/१०/२००७]
Tuesday, September 25, 2007
मित्रा, तुझ्याविणा जगताना...
मित्रा, तुझ्याविणा जगताना
आता आम्ही नीट ताट मांडून जेवत नाही
कारण, ते आवरणारा कोणी नसतो
आणि आता "बसणेही" होत नाही
कारण, वेळ आलीच तर सावरणारा कोणी नसतो
मित्रा, तुझ्याविणा जगताना
आता आम्ही रूम बाहेर पडत नाही
आणि जाऊन त्या "पुणेरी" खड्यांना नडत नाही
कारण, वाटेतले रस्ते शोधणारा कोणी नसतो
मित्रा, तुझ्याविणा जगताना
आता मी गजला देखील ऎकत नाही
कारण, मी "पेटवलेल्या" गजलांना दाद देणारा कोणी नसतो
आणि आता त्या गाण्याचा प्रयत्नही करवत नाही
कारण, सोबत साथ देणारा कोणी नसतो...
- नरेन्द्र सिंह
आता आम्ही नीट ताट मांडून जेवत नाही
कारण, ते आवरणारा कोणी नसतो
आणि आता "बसणेही" होत नाही
कारण, वेळ आलीच तर सावरणारा कोणी नसतो
मित्रा, तुझ्याविणा जगताना
आता आम्ही रूम बाहेर पडत नाही
आणि जाऊन त्या "पुणेरी" खड्यांना नडत नाही
कारण, वाटेतले रस्ते शोधणारा कोणी नसतो
मित्रा, तुझ्याविणा जगताना
आता मी गजला देखील ऎकत नाही
कारण, मी "पेटवलेल्या" गजलांना दाद देणारा कोणी नसतो
आणि आता त्या गाण्याचा प्रयत्नही करवत नाही
कारण, सोबत साथ देणारा कोणी नसतो...
- नरेन्द्र सिंह
Friday, September 14, 2007
अब मैं Walk-Ins की क़तारों में नज़र आता हूँ
अब मैं Walk-Ins की क़तारों में नज़र आता हूँ
अपने schedule से पिछडने की सज़ा पाता हूँ
इतनी vacancies पर बाज़ार से जब offer लाता हूँ
अपने दोस्तो में package बता के शरमाता हूँ
अपनी interest का job ढुंढने की कोशिश में
भागते-भागते थक जाता हूँ, सो जाता हूँ
कोई fresher समझ के खीँच न ले फिर से कहीँ
मैँ fake-experience ओढ के चुपचाप interview मे जाता हूँ
-----------------------------
Vocabulary:
क़तार = queue
पिछडने = to lag behind, delayed
-----------------------------
Original Gazal : अब मैं राशन की क़तारों में नज़र आता हूँ
Lyriced By : खलील धनतेजवी
Voiced By : जगजीत सिंह
अपने schedule से पिछडने की सज़ा पाता हूँ
इतनी vacancies पर बाज़ार से जब offer लाता हूँ
अपने दोस्तो में package बता के शरमाता हूँ
अपनी interest का job ढुंढने की कोशिश में
भागते-भागते थक जाता हूँ, सो जाता हूँ
कोई fresher समझ के खीँच न ले फिर से कहीँ
मैँ fake-experience ओढ के चुपचाप interview मे जाता हूँ
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Vocabulary:
क़तार = queue
पिछडने = to lag behind, delayed
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Original Gazal : अब मैं राशन की क़तारों में नज़र आता हूँ
Lyriced By : खलील धनतेजवी
Voiced By : जगजीत सिंह
Friday, August 10, 2007
Letter from a developer to his Project Leader.
चुपके चुपके रात दिन software बनाना याद है
हमको अब तक development का वो ज़माना याद है|
तुझसे difficulty पूछ्ने के लिये वो बेबाक हो जाना मेरा
और फ़िर दिनभर तेरा, वो मुँह छिपाना याद है|
हमको अब तक development का वो ज़माना याद है|
खींच लेना वो तेरा schedule का buffer दफ़्फ़तन
और मेरा दाँतों में वो, उँगली दबाना याद है|
हमको अब तक development का वो ज़माना याद है|
delivery के time में installer बनाने के लिये
वो मेरा company में, भुके पेट आना याद है|
हमको अब तक development का वो ज़माना याद है|
बेरुख़ी के साथ लिख्नना RA-sheet का review comment
और तेरा coding-time में, वो bug दिखाना याद है|
हमको अब तक development का वो ज़माना याद है|
एक शेर जो मैने पहले publish नहीं कराया था :-)
वक़्त-ए-resignation counter-offer का package देने के लिये
वो तेरा exit-interview में, HR को मनाना याद है|
हमको अब तक development का वो ज़माना याद है|
--------------------------------------
Vocabulary:
बेबाक = outspoken
दफ़्फ़तन = suddenly
बेरुख़ी = ignorance
--------------------------------------
Original Gazal : चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
Lyriced By : हसरत मोहानी
Voiced By : गुलाम अली, जगजीत सिंह
हमको अब तक development का वो ज़माना याद है|
तुझसे difficulty पूछ्ने के लिये वो बेबाक हो जाना मेरा
और फ़िर दिनभर तेरा, वो मुँह छिपाना याद है|
हमको अब तक development का वो ज़माना याद है|
खींच लेना वो तेरा schedule का buffer दफ़्फ़तन
और मेरा दाँतों में वो, उँगली दबाना याद है|
हमको अब तक development का वो ज़माना याद है|
delivery के time में installer बनाने के लिये
वो मेरा company में, भुके पेट आना याद है|
हमको अब तक development का वो ज़माना याद है|
बेरुख़ी के साथ लिख्नना RA-sheet का review comment
और तेरा coding-time में, वो bug दिखाना याद है|
हमको अब तक development का वो ज़माना याद है|
एक शेर जो मैने पहले publish नहीं कराया था :-)
वक़्त-ए-resignation counter-offer का package देने के लिये
वो तेरा exit-interview में, HR को मनाना याद है|
हमको अब तक development का वो ज़माना याद है|
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Vocabulary:
बेबाक = outspoken
दफ़्फ़तन = suddenly
बेरुख़ी = ignorance
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Original Gazal : चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
Lyriced By : हसरत मोहानी
Voiced By : गुलाम अली, जगजीत सिंह
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